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- Made Only 10 Liters From 50 Liters Of Spirit; Threw The Rest After Seeing People Die
सीवानएक घंटा पहलेलेखक: शंभू नाथ
सीवान में जहरीली शराब पीने से अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है।
सीवान में जहरीली शराब पीने से अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है। बाला गांव में ग्रामीणों ने शनिवार को सुरेंद्र और धुरेंद्र से शराब खरीद कर पी थी। रविवार सुबह से सभी की तबीयत बिगड़ने लगी। सबसे पहले 50 वर्षीय नरेश बिंद ने दम तोड़ा। आंखों की रोशनी गई, दम फूला और मौत हो गई। गांव में कोहराम मच गया। मरने वालों की लिस्ट में शराब बेचने वाला सुरेंद्र और धुरेंद्र मांझी का नाम भी शामिल है।
मौत के कारण से लेकर दम तोड़ने के पैटर्न तक सब कुछ ठीक वैसा ही है, जैसा 41 दिन पहले सारण के मशरख में था। पहले आंख की रोशनी गई, फिर दम फूलने लगा और देखते ही देखते इंसान की मौत हो गई। इस बार जहरीली शराब ने बस अपना पता बदला है। जिले का नाम सारण की जगह सीवान हो गया है। तब 80 मरे थे। इस बार अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है। 6 लोग आंख की रोशनी गंवा चुके हैं और 14 से ज्यादा लोगों का इलाज अलग-अलग अस्पताल में चल रहा है। वहां भी बेचने वाले मरे थे, यहां पर भी बेचने वाले मरे हैं। मुख्य सप्लायर पुलिस गिरफ्त में है।

गांव के आकाश सिंह कहते हैं- रविवार दोपहर 1 बजे अचानक बड़ी संख्या में पुलिस गांव पहुंची। एक के बाद एक घरों में रेड करने लगी। गांव में हड़कंप मच गया। ग्रामीण अभी कुछ समझ पाते कि एक के बाद एक सायरन बजाते एंबुलेस गांव में आने लगीं। मानों इमरजेंसी जैसे हालात हो, जिधर देखो उधर सायरन बजाती गाड़ियां ही थीं। शराब पीने वाले लोगों को एक-एक कर अस्पताल पहुंचाया जाने लगा। इसके बाद लोगों के मौत और गंभीर स्थिति में पहले सीवान फिर पटना रेफर होने की खबर आने लगी। सोमवार सुबह तक गांव की स्थिति ये थी कि हर टोले में एक अर्थी सज रही थी।
अब सबसे पहले शराब से तबाह हुए दो परिवार घर की कहानी पढ़िए…
6 बच्चे के सिर से उठा पिता का साया
गांव के काली मंदिर से थोड़ी दूर आगे बढ़ते ही है जनकदेव बिंद का घर। लेबर का काम कर जनकदेव ने फूस का एक कमरा तैयार किया था। कल तक अपने 6 बच्चों के साथ फूस के इसी घर में रह रहा था। अब उसके बच्चों (5 बेटी और एक बेटा) के सिर से पिता का साया उठ गया।
पत्नी फूलमती देवी ने बताया कि शनिवार रात को दोस्तों के साथ पीकर वे घर आए थे। घर आने के बाद वो सो गए। रविवार को दिन भर सोए रहे। सभी को लगा कि नशा उतरेगा तब उठ जाएंगे। लेकिन रविवार शाम को अचानक उल्टी होने लगी। उल्टी होने के बाद बेचैनी हुई।
आनन–फानन में हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, लेकिन तब तक उनकी मौत हो गई। अब फूलमती देवी एक मात्र आस सरकार से है। उन्हें कुछ मुआवाज मिल जाए और वे बच्चों को पाल-पोस सके।

5 बेटियों और 1 बेटे का भार अब अकेली महिला पर आ गया है।
एक भाई शराब बेचने के आरोप में जेल में है, दूसरे की मौत हुई
60 वर्ष की ज्ञांती देवी बेसुध हैं। उठ कर बैठ भी नहीं पा रही हैं। बिलखते हुए भोजपुरी में भगवान को कोस रही है। उनका 30 साल का बेटा जितेंद्र मांझी को जहरीली शराब ने लील लिया है। वहीं बड़ा बेटा पिछले दो साल से शराब बेचने के आरोप में जेल में बंद है।
जयंती ने बताया कि जितेंद्र ऑर्केस्ट्रा में काम करता था। बाकी बचे समय में मछली का कारोबार करता था। शनिवार शाम को वो शराब पिया था। रविवार को रात तक ठीक रहा। सोमवार सुबह 4 बजे अचानक उसे आंख से दिखना बंद हो गया। उसे तुरंत नवीगंज हॉस्पिटल ले गए। यहां से सदर अस्पताल सीवान ले जाया गया। वहां पटना रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।
50 लीटर स्प्रीट की खेप आई थी, अभी मात्र 10 लीटर की हुई थी बिक्री
बाला गांव में शराब देशी शराब की बिक्री और सेवन धड़ल्ले से हो रही थी। शराब कहां मिलती है इसकी जानकारी गांव के 10 साल के बच्चे तक को है। गांव में कच्चा स्प्रिट से लेकर टेट्रा पैक में विदेशी शराब तक उपलब्ध है। इस बार कोलकाता से 50 लीटर स्प्रिट का खेप आई थी।
इसमें मात्र 10 लीटर से ही शराब बनाकर बिक्री हुई थी। बाकी का 40 लीटर अभी तक बचा हुआ था। लेकिन शराब से मौत की खबर सुनते ही मास्टर माइंट मंटू ने उसे गांव के खंदे में जाकर फेंक दिया। पुलिस इस घटना में मास्टर माइंड मंटू बिंद समेत 16 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है और उसकी निशानदेही पर लगातार छापेमारी भी की जा रही है।
मास्टरमाइंड मंटू को जानिए, 10 साल से कर रहा धंधा, जा चुका है जेल
बाला गांव में शराब का सबसे बड़ा माफिया मंटू बिंद है। वो पहले अलग-अलग राज्यों से थोक में स्प्रिट मंगाता था। उसकी बिक्री के लिए उसने गांव में अपना एक नेटवर्क बनाया था और 5-5 लीटर करके वो उन्हें सप्लाई देता था। वे स्प्रिट में पानी मिलाकर खुदरा में इसकी बिक्री 50 रुपए प्रति पन्नी में की जाती थी।
मंटू के चाचा महेश बिंद ने दैनिक भास्कर को बताया कि वो 2016 से शराब का धंधा कर रहा है। इस मामले में वो एक बार जेल भी जा चुका है। लेकिन 10-12 दिन में ही वो छूट कर बाहर आ गया था। ग्रामीण कहते हैं कि शराब के धंधे से उसने लाखों रुपए कमाए हैं। लेकिन किसी को शक न हो इसके लिए वो टीन के छत के घर में रह रहा था।

गांव के बाहरी हिस्से में एक मैदान है। जहां लोग हर दिन बैठ कर शराब पीते हैं। शराब की प्लास्टिक वहां कुछ इस तरह बिखरा हुआ है।
शराब क्यों हुई जहरीली, जांच के लिए शराब वाली मिट्टी ले गई फॉरेंसिक टीम
घटना के बाद प्रशासन स पूरी तरह मुस्तैद है। एक तरफ जहां हर घर का दरवाजा खटखटा शराब पीने वालों को अस्पताल पहुंचाया गया तो दूसरी तरफ शराब को ढूंढने के लिए उत्पाद विभाग के जवान के साथ खोजी कुत्ते की मदद से गांव का चप्पा-चप्पा खंगाला गया। हालांकि शराब के नाम पर केवल बाहरी हिस्से में शराब की पन्नी ही मिली।
वहीं शराब जहरीली क्यों हुई इसकी जांच के लिए फॉरेंसिक की टीम भी पटना से गांव पहुंची। फॉरेंसिक की टीम मंटू की निशानदेही पर गांव के उस खेत की मिट्टी अपने साथ ले गई है जहां उसने स्प्रिट को फेंका है।
फॉरेंसिक टीम के असिस्टेंट डायरेक्टर मो. सईद आलम ने बताया कि इस स्प्रिट के कंपोनेंट की जांच की जाएगी। इस प्रयोगशाला में अलग-अलग पैमाने पर जांचा जाएगा। इसके आधार पर ये जानने की की कोशिश की जाएगी इस स्प्रिट का इथेनॉल में कनवर्शन तो नहीं हुआ था जिसके कारण ये जहरीला हुआ है।

ये इस कांड के मास्टर माइंड मंटू का घर है। यहीं से शराब की डील होती थी।
अब ग्रामीणों का दर्द सुनिए, थाने में शिकायत करने पर कार्रवाई की जगह धमकी मिलती है
पंचायत के पूर्व मुखिया मैनेजर पंडित कहते हैं कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह विफल है। शराबबंदी को सरकार और सरकार के अधिकारी कमाने का जरिया बना चुके हैं। सरकार से जब शराबबंदी संभल नहीं रही है तो सरकार को इसे पहले की तरह खोल देना चाहिए। खुला होता तब कम से कम लोग पीने से मरता तो नहीं। अगर थाने में लोग इसकी शिकायत करता है तो कार्रवाई की जगह शिकायत करने वाले पर खतरा मंडराने लगता है उसे धमकी दी जाती है। परेशान किया जाता है। इसके कारण लोग सब कुछ देख कर भी चुप रह जाते हैं।
बाला गांव के संजीव कुमार कहते हैं कि शराब बेचने के खिलाफ एक नहीं 100 से ज्यादा आवेदन दिए गए हैं। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है। सुबह पकड़ के पुलिस ले जाती है शाम को वे छूट कर आ जाते हैं। फिर से वे शराब बेचने लग जाते हैं। इनका कोई कुछ नहीं कर पाते हैं। मो. मंसूर कहते हैं कि पूरे इलाके में शराब की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। कांड से पहले पुलिस खानापूर्ति करती है। जब लोगों की मौत हो जाती है तो दिखावे के लिए 3-4 लोगों को गिरफ्तार कर लेती है।

डीएम ने कहा- पोस्टमार्ट रिपोर्ट के बाद मौत के कारण स्पष्ट होंगे
घटना के बाद सीवान के डीएम अमित कुमार पांडे ने कहा कि मौत के कारणों का स्पष्ट पता पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद ही पता चला पाएगा। उन्होंने बताया कि कम से कम 10 लोगों को सीवान सदर अस्पताल लाया गया। उन्होने कहा कि हमने ग्रामीणों से बात की है, उनसे शराब की तस्करी के बारे में निडर होकर रिपोर्ट करने का आग्रह किया है। किसी निर्दोष को परेशान नहीं किया जाएगा। एक मेडिकल टीम को भी गांव में तैनात किया गया है। पुलिस फिलहाल मामले की जांच कर रही है।
जहरीली शराब से अभी तक इनकी मौत हुई है
- सुरेंद्र रावत (30)
- नरेश रावत (42)
- घुरेधर मांझी (37)
- जनकदेव रावत (30)
- राजेश रावत (25)
- जितेंद्र मांझी (18)
- राजू मांझी (35)
- नारायण साह(55), जिला-गोपालगंज