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पटना13 मिनट पहलेलेखक: प्रणय प्रियंवद
भोजपुरी फिल्म अभिनेता और सांसद निरहुआ
भोजपुरी फिल्मों के स्टार अभिनेता निरहुआ ने लोकसभा में अपना पहला भाषण दिया। वे यूपी के आजमगढ़ से भाजपा के टिकट पर उपचुनाव में जीतने के बाद सदन में बोल रहे थे। उनके चाहने वालों को उम्मीद थी कि वे अपने भाषण में कुछ तो भोजपुरी में बोलेंगे ! लेकिन भोजपुरी फिल्मों के इस अभिनेता ने लोगों को उदास किया।
सदन में अपने प्रथम भाषण में उन्होंने भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग तो की, लेकिन अपनी ओर से भोजपुरी की एक पंक्ति नहीं कही, जबकि उनकी पहचान भोजपुरी फिल्मों की वजह से ही है। उन्होंने तत्कालीन गृहमंत्री पी. चितंबरम की कही भोजपुरी पंक्ति जरूर पढ़ी। बता दें कि बिहार से मैथिली को ही 2003 में आठवीं अनुसूची में शामिल गया है। अब तक देश भर की 22 भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है।
पांच दशक से भोजपुरी भाषी आस लगाए हुए हैं
उन्होंने जब बोलना शुरू किया तो ‘ अस्पष्टता ‘ शब्द में फंस गए और किसी तरह उससे बाहर निकले। उन्होंने प्रथम भाषण में कहा कि- कहा जाता है कि भाषा हमारे अस्तित्व का मोल है। हम अपनी भाषा में बेहतर तरीके से सोच, समझ और अभिव्यक्त कर पाते हैं। महात्मा गांधी जी ने भी मातृभाषा के प्रति कृतज्ञ होने की बात कही।
इसी भावना के साथ पिछले पांच दशक से करोड़ों भोजपुरी भाषी एक आस लगाए बैठे हैं कि भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा मिले। उसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। लेकिन भोजपुरी का इंतजार खत्म नहीं हुआ, कभी तो भाषा के भेद का पाठ पढ़ाकर तो कभी नियमों की अस्पष्टता का हवाला देकर भोजपुरी भाषियों की मांग पूरी नहीं होने दी गई।
‘ हम रउआ सब के भावना के समझअ तानी….
उन्होंने मोदी सरकार द्वारा भोजपुरी फिल्म समारोह के आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। लेकिन बताया कि 1967 से भोजपुरी भाषा की लड़ाई चल रही है। 1960 में इसके लिए पहली बार बिल लाया गया। अब तक इसको लेकर 18 प्राइवेट मेंबर बिल भी आ चुके हैं। 16 देशों में बोली जाने वाली भाषा है। भारत के बाहर कई देश स्वीकार कर चुके हैं। यूनेस्को भोजपुरी को सम्मान दे रहा है।
2012 में हमें उम्मीद जगी थी एक प्रस्ताव पर तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा था- ‘ हम रउआ सब के भावना के समझअ तानी….मानसून सत्र में बिल लाएंगे।’ लेकिन तत्कालीन सरकार ने पानी फेर दिया। तत्कालीन गृह मंत्री आश्वासन देकर पीछे हट गए। अब मोदी जी की सरकार असंभव को संभव करने के लिए जानी जाती है। उन्होंने सवाल किया कि भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा का अधिकार नहीं है क्या?
सोशल मीडिया पर लोगों ने उठाया सवाल
सांसद निरहुआ ने सदन में दिए अपने भाषण को सोशल मीडिया पर डाला तो लोगों ने भी उनसे सवाल करना शुरू किया कि भोजपुरी में भाषण क्यों नहीं दिया? रवि कुमार गोंड ने लिखा-‘ बहुत अच्छा भाषण देल ह भईया ,बहुत ही सुन्दर। लेकिन इ भाषण भोजपुरी में बोलत, त और अच्छा लागीत सदन के अन्दर। तब हमनी के भाषा में केतना मिठास बा उ सब सासद लोग के समझ में आईत। चल ठीक बा ऐतनो कम न ईखे, लागल रह और हमानी के भोजपुरी समाज के मान समान बड़ावत रह।’ अभय नाथ यादव ने लिखा-‘सांसद महोदय संसद में पहला उद्धबोधन भोजपुरी में करता त भोजपुरिया समाज में अच्छा संदेश जात।’