पटना4 घंटे पहलेलेखक: सविता
- कॉपी लिंक

दरभंगा के बिरौल प्रखंड के लदहो गांव की 60 वर्षीय मंगली देवी 12 साल बाद गेहूं की लहलहाती हुई फसल में सोहनी कर रही है।
दरभंगा के बिरौल प्रखंड के लदहो गांव की 60 वर्षीय मंगली देवी 12 साल बाद गेहूं की लहलहाती हुई फसल में सोहनी कर रही है। दूर-दूर तक गेहूं और सरसों की फसलें हवा के संग अटखेलियां खा रही हैं। लेकिन आज से एक साल पहले तक यहां सिर्फ पानी ही पानी भरा रहता था। न तो धान की फसल होती थी और न गेहूं, सरसों। क्योंकि इस गांव से गुजरने वाली जिवछ नदी का बांध टूटा हुआ था। हर साल बाढ़ का पानी 15 गांवों के 1500 एकड़ में खेत में पानी भर जाता था। छह महीने तक खेत में कोई फसल नहीं लग पाती थी।
पूरा का पूरा गांव मवेशियों संग दूसरी जगह शरण लेने को मजबूर हो जाता था। लेकिन आज इस गांव में खुशहाली है। यह सब सच हो पाया इस गांव की महिलाओं की जिद की वजह से। 12 सालों से बाढ़ के पानी का दंश झेल रही महिलाओं ने अपनी कोशिशों की वजह से जिवछ नदी पर टूटे बांध को बनवा दिया। लदहो गांव की महिलाओं ने अपनी समस्या को सरकार तक पहुंचाने के लिए संगठन बनाया। हाइफर संस्था के सहयोग से इन महिलाओं ने मिलकर मानसी महिला संगठन बनाया। संगठन की सदस्य अंजली देवी बताती हैं कि 20 महिलाओं ने मिलकर संगठन बनाया।
फिर लदहो पंचायत की मुखिया कविता देवी से मिली। मुखिया ने तीन बार जल संसाधन मंत्री संजय झा को पत्र लिखा। अंत में पिछले साल 11 मार्च को जल संसाधन मंत्री को पत्र लिखा और मई में बांध बन गया। लगभग एक किलोमीटर तक गन्नी बैग रखकर मजबूत किया गया।
इसकी वजह से बाढ़ का पानी लदहो सहित कटैया, चंदवाड़ा, अफजाला, कमलावाड़ी, बुआरी, बलहा, नौडेगा, लालपुर, भैनी, सरदी, महथौर, पोखराम और भदरचट्टी गांव में धान की अच्छी फसल हुई है। कंचन देवी बताती हैं कि जिवछ नदी पर बना बांध टूटने की वजह से छह महीने तक खेतों में पानी भरा रहता था। मवेशियों को खिलाने के लिए चारा भी पांच किलोमीटर दूर साइकिल से लाना पड़ता था। बाहर से पति पैसा भेजते थे, उसी से घर चलता था।
धान ही नहीं, सब्जियों और मक्के की खेती की और चावल भी बेचे
नीलम देवी, सोना देवी, रजनी और रामकली देवी के चेहरे पर चहकती हुई मुस्कान है। यह मुस्कान आर्थिक समृद्धि की। कल तक पति द्वारा भेजे जाने पैसे के भरोसे जीती थी और इस साल धान ही नहीं सब्जियों और मक्के की खेती करके सिर्फ घर अनाज से नहीं भरा है बल्कि बाजार में चावल बेची है। बच्चों को सरकारी स्कूल के साथ ट्यूशन भी पढ़ा रही है।