पटना34 मिनट पहले
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न्यूरो विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार सिंह
रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम या आरएलएस नामक नस की बीमारी में सोने के लिए बेड पर जाते ही एक अजीब तरह की अनुभूति पैरों में होती है। पैरों को चलाते रहने या पटकने का मन करता है। कई बार तो पूरी रात पैर पटकने या कमरे में चहलकदमी करते बीत जाती है।
इसका पूरी तरह से इलाज दवा से संभव तो है ही, कुछ बातों का ख्याल रखकर इसे कम कर सकते हैं। जैसे-खून में आयरन की कमी नहीं होने देना, सोते वक्त कॉफी का सेवन नहीं करना और मोबाइल, टीवी आदि का ब्राइट स्क्रीन नहीं देखना। पैरों का हल्का मसाज या उनपर हीटिंग पैड रखने पर भी सुधार संभव है। लेकिन इसमें सबसे ज्यादा कारगर दवा होती है।
यह कहना है वरीय न्यूरो विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार सिंह का। वे शनिवार को दैनिक भास्कर की हेल्थ काउंसिलिंग में पाठकों को सलाह दे रहे थे। डॉ. सिंह ने कहा कि वर्तमान में टेंशन टाइप हेडेक से काफी लोग परेशान रहते हैं। नींद में कमी, अवसाद और तरह-तरह की बात एक साथ दिमाग में चलने की वजह से भी इस तरह की समस्या होती है।
इसका इलाज सिर दर्द की दवा नहीं है। चिकित्सक से मिलकर अवसाद का इलाज कराना चाहिए। मधुमेह के मरीज भी अक्सर दोनों पैर में लहर की शिकायत करते हैं। इसका मुख्य कारण मधुमेह से जुड़ी नस की बीमारी पेरीफेरल न्यूरोपैथी है। कुछ लोगों को विटामिन-बी-12 की कमी से भी परेशानी होती है। विटामिन-बी-12 की भरपाई शाकाहारी भोजन से नहीं हो सकती है। इसके लिए दवा या इंजेक्शन लेने की जरूरत पड़ती है।
यह रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम
सवाल- पत्नी की उम्र 60 साल है। बिछावन पर जाते ही पैर पटकने लगती है, कमरे चलने लगती है।-कन्हैया, इंद्रपुरी जवाब-इसे रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से दिखा लें। इसका इलाज पूरी तरह से संभव है। सिर्फ एक दवा की जरूरत है। सवाल-मेरी उम्र 80 साल है। दोनों पैर में जलन होती है।-मोती शर्मा, जयप्रकाशनगर जवाब-अमूमन डायबिटिक न्यूरोपैथी और विटामिन-बी-12 की कमी से ऐसी परेशानी होती है। ब्लड शुगर की जांच करा लें। सवाल-सिर में दर्द रहता है। रात में नींद नहीं आती। दिमाग में एक साथ कई तरह बात चलती रहती है।-उमेश, दरभंगा जवाब-इसे टेंशन टाइप हेडेक के नाम से जाना जाता है। टेंशन को खत्म करने की कोशिश कीजिए। दिनचर्या ठीक करें। एंटी डिप्रेशन दवा का सेवन करना होगा। सवाल-बेटा पहले बोलता था। छह महीने से बोलना बंद कर दिया है। डॉक्टर ने कहा कि मंगोलियन चाइल्ड है।-रामेश्वर प्रसाद, मसौढ़ी जवाब-क्रोमोजोमल एनालिसिस कराने की जरूरत है। इसमें यह पता करना जरूरी होता है कि इसका टाइप क्या है। सवाल-अचानक बेहोश हो जाता हूं। ईईजी जांच भी नार्मल है।-अमित कुमार, पटना सिटी जवाब-ईईजी नार्मल है। इसका मतलब यह नहीं है कि मिरगी नहीं है। जो दवा चल रही है उसका सेवन करते रहें। चिकित्सक हिस्ट्री सुनकर ही दवा दिए होंगे।