पटना16 मिनट पहलेलेखक: प्रणय प्रियंवद
सुपर 30 के आनंद कुमार को भारत सरकार ने पद्मश्री अवॉर्ड देने की घोषणा की है। पटना में रहने वाले आनंद कुमार का जीवन संघर्षों के साथ आगे बढ़ा। उनके पिता पोस्ट ऑफिस में क्लर्क थे और प्राइवेट स्कूल के लिए अपने बच्चों की फीस जुटाने में असमर्थ थे। इसलिए आनंद की पढ़ाई हिंदी मीडियम के सरकारी स्कूल में हुई। पटना हाईस्कूल से इन्होंने पढ़ाई की। आगे बीएन कॉलेज में पढ़े। दैनिक भास्कर ने आनंद कुमार के आवास पर उनकी मां सहित उनसे खास बातचीत की।
शुरुआती समय से ही इनकी रुचि गणित में खूब थी। सुपर 30 के जरिए आनंद कुमार ने बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं क आईआईटी में सफलता दिलवाई। बड़ी बात यह कि इन्होंने इस मिथक को तोड़ा कि कोटा जाने से ही बच्चे इंजीनियरिंग में सफल होते हैं।
सुपर 30 में देश के कई राज्यों के बच्चे बिहार आकर पढ़े। अभी उनके द्वारा पढ़ाए गए कई गरीब बच्चों की जिंदगी बदल गई है और वे देश से विदेश तक में ऊंची सैलरी की नौकरियों में हैं।
हम जब आनंद कुमार के आवास पर पहुंचे तब उनकी मां जयंती देवी मां सरस्वती की पूजा कर रही थीं। घर पर छोटी की मूर्ति स्थापित की गई है। उनकी मां, बेटे आनंद को पद्मश्री अवॉर्ड मिलने पर कहती हैं कि मां सरस्वती खुद से चलकर जैसे यह अवॉर्ड उनके घर लाई हैं।
पापड़ बेचकर कैसे बच्चों को उन्होंने पढ़ाया वह दिन भी याद किया। वे कहती हैं कि आनंद बहुत मुश्किल से पढ़ा-लिखा और आगे बढ़ा है।
पढ़िए, आनंद कुमार से दैनिक भास्कर की खास बातचीत…
सवाल- आनंद सर आपको शिक्षा के क्षेत्र में मिला पद्मश्री अवॉर्ड बिहार में शिक्षा जगत से जुड़े सभी लोगों का सम्मान है। आपके लिए इस सम्मान का क्या मतलब है?
- जवाब- यह सम्मान हमारे लिए बहुत अहमियत रखता है क्योंकि मेरा, मेरे परिवार के साथ-साथ उन सभी छात्र-छात्राओं का हौसला बढ़ा है जो यहां से पढ़कर आगे बढ़ रहे हैं या पढ़ना चाहते हैं।
सवाल- आपके संघर्षों की चर्चा खूब होती है। यह कठिन दौर था। आप पर सुपर 30 नाम से फिल्म भी बनी जिसमें ऋतिक रौशन ने आपका अभिनय किया। अपने संघर्ष के दिनों को आप संक्षेप में कैसे बताना चाहेंगे?
- जवाब- कोई भी काम जब हम शुरू करते हैं तो कठिनाई भरी जिंदगी जीनी पड़ती है। संघर्ष करना पड़ता है। लेकिन ऐसी कठिन परिस्थितियों में चाहे वे मेरे भाई हों, परिवार के अन्य सदस्य हों, माता जी, पत्नी हों सभी ने काफी साथ दिया। वह संघर्ष का दौर बीत गया। जब यह दौर बीतता है तो सफलता सामने आती है। सबसे बड़ी सफलता उस समय मिली जब अवार्ड के बाद सैकड़ों बच्चों ने हमें विश किया। जापान, अमेरिका, जर्मनी, कनाडा हर जगह से बच्चों ने बधाईयां दीं। लगा उन बच्चों को अवॉर्ड मिला है।
सवाल- सुपर 30 को आप आगे किस तरह से बढ़ाएंगे कि ज्यादा से ज्यादा गरीब बच्चों का भला हो सके?
- जवाब- हम लोग चाहते हैं कि सुपर 30 में नंबर ऑफ स्टूडेंट बढ़ाए जाएं। एक साल के अंदर इसे रूप देना चाहते हैं। इसके अलावा चाहते हैं कि ऑनलाइन के जरिए भी हम बच्चों तक अपना बात, अपना शिक्षण दे सकें। जल्द ही इसकी सूचना दैनिक भास्कर के जरिए हम लोगों को देंगे।
सवाल- इंजीनियरिंग और इससे जुड़ी परीक्षाओं से जुड़े छात्र-छात्राओं की इच्छा है कि आपकी किताब भी जल्द आए ?
- जवाब- एकदम किताब भी आएगी। दैनिक भास्कर के लिए मैं यदा-कदा लिखता रहता हूं। भास्कर अखबार भी मेरा एक बड़ा प्लेटफॉर्म है। इसलिए इसे पढ़ते रहिए।