दरभंगा2 घंटे पहले
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- 1920 में सिविल सेवा की परीक्षा पास की लेकिन इस्तीफा दे दिया
महारानी कल्याणी महाविद्यालय में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127 वीं जन्म जयंती प्रधानाचार्य प्रो. परवेज अख्तर की अध्यक्षता में मनाई गई। प्रधानाचार्य, सभी विभागाध्यक्षों समेत सभी शिक्षकों व उपस्थित छात्र-छात्राओं ने इस अवसर पर उनके चित्र पर माल्यार्पण किया। प्रधानाचार्य प्रो परवेज अख्तर ने कहा कि आज देश नेताजी की 127 वीं जयंती के अवसर पर उनके नाम पर पराक्रम दिवस मना रहा है। नेताजी देश के स्वाधीनता आंदोलन के नायकों में से एक थे। नेताजी की जीवनी, उनके विचार और उनका कठोर त्याग आज की 21 वीं सदी के युवाओं के लिए प्रेरणादायक हैं। उनके कुछ करिश्माई नारे तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा, जय हिंद, दिल्ली चलो आदि हैं जिससे स्वाधीनता आंदोलन के सेनानियों में सदैव वो जोश भरते थे जिससे सेनानियों में सदैव नई ऊर्जा का संचार होता था। वे पढ़ने में इतने मेधावी थे कि 1920 में तमाम संघर्षों व जदोजहद के बावजूद सिविल सेवा परीक्षा पास की थी।
लेकिन उन्हें जब लगा कि इस सेवा से वो सिर्फ अंग्रेजों की गुलामी ही कर सकते हैं, इससे वतन को कोई फायदा नहीं होगा तो वो नौकरी से इस्तीफा दे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़कर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कूद गए और आजादी के आंदोलन को धारदार बनाया और नई दिशा दी। अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने के लिए नेताजी 21 अक्टूबर 1943 को “आजाद हिंद सरकार” की स्थापना करते हुए “आजाद हिंद फौज” का गठन किया और अपनी फौज के साथ वर्मा पहुंचे, जो अब म्यांमार के नाम से जाना जाता है। वहां से उन्होंने तुम मुझे खून दो, और मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया। अगर नेताजी के जीवन के पूरे सार को देखा जाय तो यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि सही मायनों में भारत के रत्न थे नेताजी। यहां उपस्थित छात्र-छात्राओं को उनके जीवन से प्रेरणा ले उसे अपने जीवन में आत्मसात कर राष्ट्रनिर्माण में अपनी अहम भूमिका निभानी चाहिए। मौके पर महाविद्यालय के भौतिकी विभागाध्यक्ष सह बर्सर डॉ० शम्से आदि मौजूद रहे।