बिहार21 मिनट पहलेलेखक: मनीष मिश्रा
छपरा में जहरीली शराब से 11 लोगों की मौत की पड़ताल में बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस ने शराब को लेकर 5 महीने में 1710 केस तो दर्ज किया, लेकिन तस्करों की जड़ खंगालने में वह फेल रही है। पुलिस का सूचना तंत्र फेल होने से शराबबंदी कानून पर सवाल खड़े हुए हैं। सावन के अंतिम सप्ताह में हर साल पूजा होती है, जिसमें प्रसाद के रूप में शराब का सेवन होता है।
ऐसे इनपुट के बाद भी पुलिस का इंटेलिजेंस फेल रहा। जहरीली शराब कांड के बाद अफसरों ने थानेदार को सस्पेंड कर दिया है, लेकिन चूक कहां से हुई यह अब तक साफ नहीं हो पाया है। भास्कर की पड़ताल में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। हर साल सावन में शराब चढ़ती है, लेकिन पुलिस का सूचना तंत्र फेल है।
पोल में हिस्सा लेकर अपनी राय दीजिए…
सारण में पुलिस की बड़ी लापरवाही
जहरीली शराब कांड में सारण पुलिस की बड़ी चूक सामने आई है। पुलिस कागजों में कार्रवाई करती रही, लेकिन जमीनी स्तर पर कानून की सख्ती को लेकर कोई काम नहीं किया गया। पटना हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट मणिभूषण प्रताप सेंगर ने बिहार पुलिस से शराब से होने वाली मौत और पुलिस की कार्रवाई को लेकर सूचना मांगी थी। इस क्रम में छपरा पुलिस अधीक्षक कार्यालय से दी गई जानकारी में बताया गया है कि 1 जनवरी 2022 से 25 मई 2022 तक शराब के व्यापार और निर्माण में 1710 मुकदमा दर्ज किया गया है।
इतना ही 1 जनवरी 2020 से 25 मई 2022 तक 7753 मुकदमा दर्ज किया गया है। एडवोकेट का कहना है कि बिहार में शराबबंदी है, लेकिन पुलिस सिर्फ केस दर्ज कर औपचारिकता पूरी करती है। सरकार संसाधन दे रही है, शराबबंदी कानून का पालन कराने के लिए पुलिस को सुविधाएं दी जा रही हैं। इसके बाद भी जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
जहां शराब से हो रही मौत, वहां तस्करों की सक्रियता
- 2020 में शराब के व्यापार और निर्माण में 2363 मुकदमा
- 2021 में शराब के व्यापार और निर्माण में 3680 मुकदमा
- 1 जनवरी 2022 से 25 मई 2022 तक 1710 मुकदमा
- 1 जनवरी 2020 से 25 मई 2022 तक 7753 मुकदमा
शराबबंदी में पुलिस का इंटेलिजेंस देखिए
छपरा के फुलवरिया पंचायत स्थित भाथा नोनिया टोली में शराब के कहर के पीछे पुलिस की लापरवाही की बड़ी वजह सामने आई है। हर साल सावन के अंतिम बुधवार को गांव की देवी की पूजा होती है, जिसमें शराब चढ़ाया जाता है। इस साल भी प्रसाद वाले शराब को पीकर 11 लोगों की जान चली गई और 15 लोगों के आंखों की रोशनी चली गई।
अब सवाल यह है कि हर साल सावन में पूजा के दौरान शराब चढ़ाया जाता है, लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। पुलिस का सूचना तंत्र पूरी तरह से फेल रही है। गांव के लोगों का कहना है कि सावन के अंतिम बुधवार को हर घर में पूजा होती है और अधिकतर लोग शराब चढ़ाते हैं। पुलिस को भी इसकी जानकारी होती है, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
एक के बाद एक मौत ने खोला राज
छपरा में जहरीली शराब से मौत ने शराबबंदी कानून का राज खुल गया है। शराब से मौत का सिलसिला जारी हुआ तो पुलिस के होश उड़ गए। मौत का आंकड़ा 11 पहुंचा तो थानेदार को सस्पेंड कर दिया गया। जबकि ऐसे मामलों में थानेदार ही नहीं बल्कि लापरवाही का पूरा नेटवर्क होता है।
बीट के सिपाही लेकर लोकल इंटेलिजेंस के फेल होने का बड़ा मामला है और ऐसे मामलों में सीधे अफसरों की जवाबदेही होती है। घटना के बाद अब पुलिस अधीक्षक भी मान रहे हें कि पूजा में शराब का सेवन किया गया। अब जहरीली शराब कांड में उच्च स्तरीय जांच की मांग की जा रही है। बताया जा रहा है कि पुलिस मौत की संख्या बढ़ने तक गंभीर नहीं थी।
गांव में बंट रही थी प्रसाद वाली शराब
छपरा के गांव में प्रसाद वाली शराब बांटी जा रही थी लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लग। जब तक मौत का आंकड़ा नहीं बढ़ा पुलिस मौन पड़ी रही। गांव वालों का पुलिस के प्रति आक्रोश बता रहा है कि पुलिस ने बड़ी मनमानी की है। पुलिस पर पथराव से यह साफ हो गया है कि इस घटना में पुलिस की बड़ी चूक है। पुलिस अगर गंभीर रहती तो जहरीली शराब कांड से बचा जा सकता था। अस्पताल में पीड़ितों ने बताया कि गांव में पूजा के बाद शराब बांटी जा रही थी लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। इस कारण ही मौत का तांडव हुआ है।