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- After The Intervention Of The Chief Justice, The State Government Will Get Sitamarhi’s Daughters Treated In AIIMS
पटनाएक घंटा पहलेलेखक: अरविंद उज्जवल
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एम्स पटना।
चीफ जस्टिस संजय करोल के हस्तक्षेप के बाद अब राज्य सरकार के खर्चे से सीतामढ़ी की तीन दिव्यांग बिटिया का एम्स, पटना में होगा इलाज। दरअसल पिछले दिनों चीफ जस्टिस संजय करोल सीतामढ़ी गए थे। उसी दौरान उन्हें एक स्कूल के कार्यक्रम में जाने का अवसर मिला। उन्हें पता चला कि तीन दिव्यांग छात्रा का इलाज पैसे के अभाव में नहीं हो पा रहा है।
चीफ जस्टिस ने वहां के प्रभारी जिला जज, जो जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष भी हैं, को तीन दिव्यांग छात्राओं के बारे में बताया।उन्होंने प्राधिकार के सचिव के माध्यम से तीनों के बारे में जानकारी प्राप्त कर एक पत्र हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जेनरल को भेजा। उसी पत्र को पीआईएल मानकर चीफ जस्टिस और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने सुनवाई की।
दो छात्राएं सगी बहनें, जन्मजात बीमारी की वजह से नहीं चल पातीं
कोर्ट को बताया गया कि तीनों के माता-पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। दो छात्राएं सगी बहनें है और वे चल नहीं पाती हैं। दोनों को जन्मजात बीमारी है। इलाज के लिए पांच लाख रुपए का खर्च बताया गया। लेकिन इतनी बड़ी राशि का प्रबंध नहीं हो सका। तीसरी छात्रा की एक आंख की रोशनी चली गई है। उसके पास भी इलाज के पैसे नहीं हैं। एम्स पटना के वकील विनय कुमार पांडेय ने कोर्ट को बताया कि तीनों को जांच के लिए प्राधिकार ने एम्स में लाया था।
जांच के बाद बताया गया कि तीनों के इलाज में लगभग पांच लाख रुपए का खर्च आएगा। चार महीने तक इलाज के बाद सभी ठीक हो जाएंगी। कोर्ट ने इस बारे में राज्य सरकार का पक्ष जानना चाहा था। मंगलवार को महाधिवक्ता पीके शाही ने भी उदारता दिखाते हुए कहा कि राज्य सरकार इलाज का खर्च वहन करेगी। उन्होंने कहा कि एम्स के बैंक एकाउंट में राशि जमा करा दी जाएगी। चीफ जस्टिस और राज्य सरकार का यह मानवीय चेहरा सचमुच एक मिसाल कायम करेगा। अब इलाज से वंचित इन तीन होनहार दिव्यांग छात्राओं का इलाज हो पाएगा।