दरभंगा2 घंटे पहले
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- विश्वविद्यालय वाणिज्य विभाग ने नेताजी की जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाई
युवाओं में ऊर्जा के संचार के बिना अच्छे कार्य भी संपादित नहीं होते, परंतु युवा दिशाहीन न हों। अन्यथा उनकी ऊर्जा नकारात्मक हो जाती है और उसका परिणाम भी बेहतरीन प्राप्त नहीं हो पाता है। ये बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्र सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग द्वारा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती की पराक्रम दिवस के रूप में मनाए जा रहे समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कही। कुलपति ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हर व्यक्ति एवं संगठन अपनी तरह से योगदान दिया, पर सबका लक्ष्य एक ही था कि भारत को आजादी मिले। प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ने कहा कि नेताजी बचपन से ही मेधावी थे। वे पिता के आग्रह पर लंदन गए और रिकॉर्ड अल्प समय में ही सीआईएस परीक्षा में चतुर्थ स्थान प्राप्त किए, परंतु योगदान न कर देशभक्ति में भारत की आजादी के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे भारत की पूर्ण आजादी चाहते थे और एक ग्यारह बार जेल भी गए। वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रोफेसर बीबीएल दास ने कहा कि सुभाष बाबू भारत के महान सपूत थे, जिनके विचार एवं कार्य में प्रेरित करते हैं। इस अवसर पर प्रोफेसर एचके सिंह, डा दिवाकर झा, डा आर एन चौरसिया, डा निर्मला कुशवाहा, डा आई डी प्रसाद, डा संकेत कुमार झा सहित छात्र उपस्थित थे।कार्यक्रम में श्वेता कुमारी, प्रेम शंकर झा व अमन सिंह आदि ने नेता जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला, जबकि रोहित ने कविता पाठ किया। वहीं 2023 में वर्तमान भारत में नेताजी के विचारों की प्रासंगिकता विषयक प्रतियोगिता में सबा फातमा- प्रथम, रिचा रानी- द्वितीय तथा विकास कुमार के तृतीय स्थान पाने के साथ ही 2022 में आयोजित प्रतियोगिता में मानू- प्रथम, दीक्षा- द्वितीय तथा फौजिया परवीन के तृतीय स्थान पाने पर अतिथियों के हाथों प्रमाण पत्र प्रदान कर हौसला बढ़ाया।