कटिहार5 मिनट पहले
जिले के समेली प्रखंड राजेंद्र पार्क डुमरिया में श्रद्धालुओं के पूजा करने का आश्चर्यजनक तस्वीर देखने को मिला है। जहाँ श्रद्धालु पूजा करने और अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए नंगे पांव तपते आग में चलते हैं। चार दिवसीय चलने वाले इस पूजा को झील पूजा कहा जाता है। पूजा में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के अलावा दूर दराज के क्षेत्र से महिला पुरुष बच्चे बूढ़े सभी आते हैं।
मनवांछित फल की प्राप्ति होने पर आयोजित होती है पूजा
बताया जाता है कि जिसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है वो इस झील पूजा को करवाते हैं। वही नौकरी की चाह रखने वाले अभिभावक या जिन लोगों को किसी अन्य तरह का शारीरिक मानसिक या आर्थिक कष्ट होता है उनके निवारण के लिए इस पूजा में शामिल होते हैं और सच्चे मन से नंगे पांव जलते आग पर चलते हुए झील पूजा को करते है। झील पूजा के मुख्य भक्त बांस से बने झील के ऊपर चढ़कर आग पर चलने के बाद उन सभी श्रद्धालुओं के आंचल में फेंक कर प्रसाद देते हैं, ऐसे में श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण कर अपनी मनोकामना को पूर्ण करते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि श्रद्धालु नंगे पांव इस आग में पैदल चलते हुए गुजरते हैं लेकिन कोई भी श्रद्धालु जलते नहीं हैं। झोपड़ी में बना झील पूजा स्थल पर श्रद्धालु भक्तों के द्वारा पूजा करवा कर अपना आंचल फैलाकर जो प्रसाद ग्रहण करते हैं उसकी मनोकामना पूर्ण होता है।
सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्तों की पूरी होती है मनोकामना
डुमरिया से पहुंचे भक्त सोनी कुमारी की माने तो झील पूजा आदिकाल से ही खुले आसमानों के नीचे आयोजित की जा रही है । मान्यता के अनुसार श्रद्धालु नंगे पांव जलते आग पर पैदल चलते हैं। भक्त का कहना है कि अयोध्या के राजा दशरथ ने झील पूजा का शुरुआत किया था और पूजा के प्रसाद खीर को खाने के बाद राम – लक्ष्मण – भरत और शत्रुघ्न जैसे पुत्र की प्राप्ति हुई थी। श्रद्धालु सुनील की माने तो जो सच्चे मन से पूजा करते हैं और आग पर चलते हैं वह कभी नहीं जलते और फिर उनके मन की मुराद पूरी होती है उन्हें मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

नंगे पांव तपते आग में चलते भक्त
क्या कहते हैं भक्तराज
झील पूजा का आयोजन 4 दिनों तक किया जाता है। पूजा के दौरान जो मनोकामना रखता है वह पूरा होता है। इसमें जो बांझ है, जो पुत्र मांगता है पुत्र भी होता है। जो निर्धन है उनको धन होता है और किसी तरह का कष्ट भी होता है तो वह भगवान पुरा करता है। यह ठाकुर जी का व्रत के समान है।
पूजन से जुड़ी क्या क्या विधि है
झील पूजा से जुड़ी हुई विधियों के बारे में भक्तराज तारानी पासवान ने बताया कि जिसको कष्ट है, वह आग में प्रवेश होता है तब उसका कष्ट दूर होता है, वही भक्त नहीं जलता है जो भगवान पर विश्वास रखता है उसको कुछ नहीं होता है। जिस भक्तों के दिल में ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति और आस्था नहीं है अगर छल कपट है वह जल भी सकता है। इस पूजा को काशी भी बोलता है, जिसकी मनोकामना पूरी होती है वही यह करवाता है।