बक्सर21 मिनट पहलेलेखक: धीरज कुमार वर्मा
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वह दिन दूर नहीं जब शाहाबाद क्षेत्र का धान का कटोरा कहे जाने वाला बक्सर जिला के सोनाचूर चावल की खुशबू समूचे देश में फैलेगी। जिला कृषि विभाग की ओर से पूरी तैयारी के साथ कवायद शुरू कर दी गई है। सोनाचूर चावल की खेती के लिए किसानों को बीते तीन वर्षों से जागरूक किया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र और आत्मा के तरफ से किसानों को प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। जिला कृषि विभाग अपने उद्देश्य में सफल हो जाएगा तो देशभर में जहां बक्सर जिले की पहचान सोनाचूर चावल उत्पादक के रूप होगी वहीं यहां के किसान समृद्ध भी होंगे।
जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि किसानों को जागरूक और प्रशिक्षित करने का असर जिले में दिखने भी लगा है। किसान अपने खेतों में सोनाचूर चावल की खेती करने के लिए आगे आने लगे हैं। खास तो यह है कि जो सोनाचूर की खेती की जा रही है उसमें रसायनिक खाद का प्रयोग कम हो रहा है। खेतों में जैविक खाद किसान उपयोग में ला रहे हैं। वहीं, कीटनाशक का प्रयोग नहीं के बराबर किया जा रहा है। सोनाचूर की उपज से गदगद हैं जिले के किसान जिले में बीते खरीफ मौसम में 5400 हेक्टेयर में सोनाचूर चावल की खेती की है। इस बार जो उपज हुआ है उससे किसान गदगद हैं। जिला कृषि विभाग के अनुसार कुल 1.62 लाख क्विंटल सोनाचूर चावल की उपज प्राप्त हुई है। डीएओ ने बताया कि प्रति हेक्टेयर लगभग 30 क्विंटल उत्पादन प्राप्त हुआ है।
उन्होंने कहा कि हर साल सोनाचूर की खेती का रकबा बढ़ रहा है। किसानों को इससे अच्छी आमदनी हो रही है। कतरनी चावल से अधिक भाव मिल रहा है। जहां बाजार में कतरनी का भाव 30 से 32 सौ रुपये क्विंटल है वहीं सोनाचूर 5 हजार से 55 सौ रुपये क्विंटल का भाव मिल जा रहा है।
जीआई टैग के लिए चल रहा है प्रयास
बक्सर जिले के सोनाचूर चावल के पहचान को लेकर कहीं भी कोई विवाद नहीं हो इसके लिए जीआई टैग(भौगोलिक संकेत)लेने का प्रयास चल रहा है। डिएगो मनोज कुमार ने बताया कि इसके लिए जीआई टैग के लिए विभाग के सचिव के अलावा उच्च अधिकारियों से वार्ता चल रही है। जीआई टैग मिलते ही देश ही नहीं वरन विश्व में सोनाचूर चावल उत्पादन को लेकर बक्सर की एक अलग पहचान बन जाएगी। उन्होंने कहा कि महर्षि विश्वामित्र की तपो भूमि पर पवित्र नदी गंगा के पानी की सिंचाई से उपजे सोनाचूर चावल की महता बढ़ने के साथ लोगों की आस्था भी जुड़ जाएगी।
एफपीओ के माध्यम से हो बिहार व झारखंड में बिक्री
जिले में कृषि उत्पादों की खेती और ब्रिक्री करने का काम पांच एफपीओ के द्वारा किया जा रहा है। डुमरांव फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के सीओ पुतुल पांडेय ने बताया कि सोनाचूर उत्पादन के साथ उसका ब्रांडिंग कर बिहार के वपटना, मुजफ्फरपुर, आरा के अलावा झारखंड के रांची में बिक्री की जा रही है। उन्होंने बताया कि कंपनी के स्थाई केंद्र पर प्रतिदिन एक क्विंटल सोनाचूर की बिक्री हो जा रही है। अन्य राज्यों में यहां के चावल की बिक्री हो इसके लिए ई कॉमर्स एप बनाया जा रहा है, जिसका नब्बे प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है।